Farmer Subsidy Scheme: कृषि को पारंपरिक और जैविक पद्धतियों की ओर मोड़ने के लिए राज्य सरकार ने एक नई पहल शुरू की है। सरकार अब ऐसे किसानों को आर्थिक सहायता देगी, जो खेतों की जुताई के लिए बैलों का उपयोग करते हैं। इस योजना के तहत पात्र किसानों को सालाना ₹30,000 की राशि दी जाएगी, जिससे खेती को फिर से प्राकृतिक स्वरूप में लौटाने का प्रयास किया जा सकेगा।
जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम
इस योजना का मुख्य उद्देश्य रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर किसानों की निर्भरता को कम करना है। बैल से जुताई करने पर मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता बनी रहती है, जिससे फसल की गुणवत्ता में सुधार आता है। सरकार का मानना है कि यह योजना पर्यावरण की दृष्टि से भी उपयोगी साबित होगी और किसानों की आय बढ़ाने में मददगार बनेगी।
घटती बैल जनसंख्या को रोकने की जरूरत
हाल के वर्षों में ट्रैक्टर और आधुनिक कृषि यंत्रों के कारण बैलों की संख्या में भारी गिरावट आई है। इससे पारंपरिक खेती पिछड़ती जा रही है। लेकिन सरकार अब इस योजना के जरिये न केवल बैलों के संरक्षण की दिशा में कदम उठा रही है, बल्कि गांवों की संस्कृति को भी पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है।
खेतों में फिर गूंजेगी बैलों की घंटी
एक दौर था जब खेतों में बैलों की जुताई और उनकी गले की घंटियां गांव की पहचान हुआ करती थीं। लेकिन तकनीकी विकास के साथ यह दृश्य अब दुर्लभ हो गया है। इस योजना के माध्यम से सरकार खेती को दोबारा प्राकृतिक और टिकाऊ पद्धति की ओर लौटाना चाहती है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल सके।
छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा विशेष लाभ
यह योजना खासकर उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो आज भी बैलों से खेती करते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उन्हें अब हर साल सरकार की तरफ से सीधी वित्तीय सहायता मिलेगी, जिससे उनकी खेती की लागत कम होगी और वे अधिक आत्मनिर्भर बन पाएंगे। इससे किसानों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
आवेदन प्रक्रिया हुई ऑनलाइन, जरूरी दस्तावेज भी निर्धारित
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ‘राज किसान साथी पोर्टल’ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के लिए किसान को जनाधार, पशु स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, इयर टैगिंग रिपोर्ट, पशु बीमा और बैलों की जोड़ी के साथ अपनी फोटो अपलोड करनी होगी। योजना ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर लागू की गई है, इसलिए पात्र किसानों को जल्द आवेदन करना जरूरी है।
जैविक खेती के फायदे अब मिलेंगे सरकारी मदद के साथ
बैल से खेत जोतना न केवल पर्यावरण अनुकूल है बल्कि यह जल संरक्षण और मिट्टी की संरचना को भी बनाए रखता है। आधुनिक यंत्रों की तुलना में यह तरीका लागत में सस्ता और लाभ में अधिक है। सरकार की यह पहल किसानों को केवल आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से भी सशक्त बनाएगी, क्योंकि वे पारंपरिक ज्ञान को फिर से अपनाने लगेंगे।
भविष्य की खेती होगी प्राकृतिक और आत्मनिर्भर
इस योजना के माध्यम से सरकार एक संदेश देना चाहती है कि पारंपरिक पद्धतियों में ही भविष्य की खेती का हल छिपा है। अगर किसानों को सही दिशा और समर्थन दिया जाए तो वे बिना रसायन और मशीनों के भी बेहतरीन उत्पादन कर सकते हैं। इस योजना से जैविक कृषि को नई ऊर्जा मिलेगी और किसानों की आय में भी स्थायी बढ़ोतरी हो सकेगी।