Government Employees Transfer News: राजस्थान में सीमावर्ती जिलों के ट्रांसफर पर फिर से लगी रोक, कर्मचारियों की बढ़ी चिंता

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Government Employees Transfer News: राजस्थान सरकार ने एक बार फिर सीमावर्ती जिलों में सरकारी कर्मचारियों के तबादलों पर रोक लगा दी है। सोमवार को जारी आदेश के बाद प्रदेशभर के वे कर्मचारी परेशान हो गए हैं जो लंबे समय से अपने स्थानांतरण की उम्मीद लगाए बैठे थे। सरकार के इस फैसले से अब उन कर्मचारियों की राह मुश्किल हो गई है जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अस्थायी रूप से भेजे गए थे और वापसी की उम्मीद कर रहे थे।

सीमावर्ती जिलों में तबादलों की छूट वापस

राज्य सरकार ने 8 और 9 मई को विशेष परिस्थितियों में सीमावर्ती जिलों में तबादलों की अनुमति दी थी। लेकिन अब प्रशासनिक सुधार और समन्वय विभाग के सचिव जोगा राम द्वारा जारी किए गए ताजा आदेश में इस छूट को समाप्त कर दिया गया है। इसके बाद से अब बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर और फलोदी जैसे सीमावर्ती जिलों में ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद कर दी गई है।

भजनलाल सरकार के फैसले से कर्मचारियों को झटका

भजनलाल सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला उन हजारों कर्मचारियों के लिए झटका बन गया है जो सीमावर्ती क्षेत्रों से स्थानांतरित होने की राह देख रहे थे। अब इन जिलों से बाहर तबादले की संभावना समाप्त हो गई है और कर्मचारियों को अनिश्चितकाल तक वहीं कार्य करना पड़ेगा। ऐसे में इस फैसले से नाराजगी की लहर देखी जा रही है।

भारत-पाक तनाव के चलते मिली थी पहले राहत

इससे पहले जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाई तनाव का माहौल बना था, तब भजनलाल सरकार ने सीमावर्ती जिलों की रणनीतिक और प्रशासनिक अहमियत को देखते हुए ट्रांसफर बैन में आंशिक छूट दी थी। इस कदम का उद्देश्य था इन इलाकों में प्रशासनिक स्थायित्व बनाए रखना और जरूरी सेवाओं को मजबूत करना। इसके तहत कई विभागों के कार्मिकों को सीमाई जिलों में तैनात किया गया था।

अब हालात सामान्य, लेकिन वापसी पर लगा ब्रेक

अब जबकि सीमावर्ती क्षेत्रों में हालात सामान्य हो चुके हैं, तब वहां तैनात कर्मचारी अपने मूल जिलों में लौटने की मांग कर रहे थे। मगर सरकार ने इस बार इन मांगों को नजरअंदाज करते हुए सीमावर्ती जिलों में ट्रांसफर पर फिर से पूर्ण पाबंदी लगा दी है। सरकार का मानना है कि कर्मचारियों की लगातार अदला-बदली से प्रशासनिक अस्थिरता उत्पन्न होती है, जिससे शासन व्यवस्था प्रभावित होती है।

स्थायित्व को लेकर सरकार की चिंता

सरकार का यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए निराशाजनक जरूर है, लेकिन इसका उद्देश्य सीमाई क्षेत्रों में स्थायित्व बनाए रखना है। प्रशासन का तर्क है कि बार-बार ट्रांसफर से न सिर्फ कार्य प्रभावित होता है बल्कि आम जनता को भी परेशानी उठानी पड़ती है। इसलिए स्थायित्व और निरंतर सेवा को प्राथमिकता दी गई है।

अब क्या है विकल्प?

फिलहाल सीमावर्ती जिलों में तैनात सरकारी कर्मचारियों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। उन्हें उसी जिले में रहकर अपनी सेवा जारी रखनी होगी। हालांकि कर्मचारियों की यूनियन और संगठनों द्वारा इस मुद्दे को लेकर सरकार से फिर से विचार करने की अपील की जा रही है, लेकिन निकट भविष्य में ट्रांसफर नीति में कोई ढील मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही।

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