सरकारी अवकाश की घोषणा, इस दिन स्कूल-कॉलेज बैंक और सरकारी दफ्तर रहेंगे बंद Public Holiday

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Public Holiday: देशभर में सार्वजनिक अवकाश को लेकर एक और महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। इस बार मुहर्रम के अवसर पर केंद्र और राज्य सरकारें अवकाश घोषित करने की तैयारी में हैं। यह अवकाश जुलाई के पहले सप्ताह में किसी एक दिन लागू किया जाएगा, जो चांद दिखने की तिथि पर निर्भर करेगा। संभावित तारीखें 6 या 7 जुलाई 2024 मानी जा रही हैं।

चांद दिखने पर तय होगी मुहर्रम की तारीख

मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत का प्रतीक होता है। हर साल यह तिथि चंद्रमा की स्थिति पर आधारित होती है। यदि 5 जुलाई को चांद दिखता है तो मुहर्रम 6 जुलाई को मनाया जाएगा, अन्यथा यह 7 जुलाई को पड़ेगा। इसके आधार पर संबंधित राज्य सरकारें सार्वजनिक अवकाश की आधिकारिक अधिसूचना जारी करेंगी।

सरकारी दफ्तरों और शैक्षणिक संस्थानों पर रहेगा असर

मुहर्रम के मौके पर देश के कई राज्यों में सरकारी दफ्तर, बैंक, स्कूल, कॉलेज, डाकघर और कई निजी संस्थान पूरी तरह बंद रहेंगे। यह सार्वजनिक अवकाश धार्मिक श्रद्धा और परंपरा के आधार पर घोषित किया जाता है, जिससे विभिन्न समुदायों के लोग इस दिन को शांति और सम्मान के साथ मना सकें।

शेयर बाजारों में नहीं होगी ट्रेडिंग

मुहर्रम के दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) समेत अन्य प्रमुख बाजार बंद रहेंगे। इस दिन इक्विटी, डेरिवेटिव्स, करेंसी ट्रेडिंग और ब्याज दर आधारित डेरिवेटिव्स में कोई लेन-देन नहीं होगा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर भी सुबह का सेशन स्थगित रहेगा, जबकि शाम का सत्र सामान्य रूप से संचालित किया जाएगा।

मुहर्रम का धार्मिक महत्व और आशूरा की पवित्रता

मुहर्रम इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र महीनों में से एक है। इस महीने की 10वीं तारीख को आशूरा कहा जाता है, जो शिया समुदाय के लिए गहरा आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह दिन इमाम हुसैन की शहादत की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए कर्बला की भूमि पर बलिदान दिया था।

कर्बला की घटना और बलिदान की गूंज

680 ईस्वी में हुए कर्बला युद्ध को इस्लामिक इतिहास में सबसे बड़ी शहादतों में से एक माना जाता है। पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन और उनके समर्थकों ने जुल्म के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज भी इस बलिदान को याद कर दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय श्रद्धा और शोक के साथ आशूरा मनाते हैं।

धार्मिक आयोजन और मातम की परंपराएं

मुहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय विशेष शोक जुलूस निकालता है, जिसमें ताजिए, मातम और धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं। लोग काले वस्त्र पहनते हैं और इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करते हैं। वहीं सुन्नी मुस्लिम समुदाय इस दिन रोजा रखते हैं और विशेष नमाज़ अदा करते हैं।

सामाजिक एकता और श्रद्धा का प्रतीक

मुहर्रम केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह सामाजिक एकता और सहिष्णुता का भी प्रतीक बन चुका है। इस दिन कई समुदायों में दूध और मिठाइयों का वितरण किया जाता है, जिसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग समान रूप से भाग लेते हैं। यह आयोजन समाज को जोड़ने और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने का काम करता है।

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